तय करते है
कलम लिखेगा रंग गुलाल या
या खून लाल...
ना इन्हे कोई मलाल
चंद पैसों में बिककर
बनना चाहते है
मालामाल..
मिलिए इनसे
ये हैं स्याही के दलाल
काले रंग से कहते है पन्ना भरा जाता है
लाल रंग क्रांति का होता है
इससे लिखेंगे इतिहास
कहते है क्रांति खून से होती है क्योंकि
खून का रंग होता है लाल
मिलिए इनसे
ये हैं स्याही के दलाल
मैने भी नहीं किया अभी तक कोई मलाल
काले अक्षरों में प्रश्नपत्र लिखा होता होता है
उत्तर पुस्तिका को नीले से भरा जाता है
लेकिन मूल्यांकन तो करता है लाल
जो ये भी तय कर देते है
कौन उत्तीर्ण होगा इस साल....
मिलिए इनसे
ये है स्याही के दलाल..!
कुल मिलाकर स्याही लाल
करता है जमकर बवाल
तब क्रांति क्रांति ना होकर
भ्रांति हो जाती है
मेरे कहने पर ना मिलिए
भूलकर भी इनसे क्योंकि
ये है लाल स्याही के दलाल
क्षण भर में सर कर देंगे हलाल
फिर बोलेंगे लाल सलाम...
इसको न्यायोचित ठहरा देंगे
क्योंकि क्रांति का रंग होता है लाल।
फिर भी मिलना है तो
मिलिए इनसे
ये है स्याही के दलाल...!
©शिवम
सत्य को प़्रेरित करती रचना, बहुत सुंदर ।
ReplyDeleteआपका बहुत बहुत एवं आभार मधुलिका जी। स्वागत है आपका मेरे इस नए ब्लॉग पर। आपको बहुत दिनो बाद देखकर अच्छा लगा ।🙏
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