Monday, July 25, 2022

भीग जाने दो खुद को



भीग जाने दो खुद को
 भीगने का अलग ही मजा है 
ना भीगे जीवन में तो
 ये जीवन नही एक सजा है 
देखो मानता हु
 दुख दर्द संताप पीड़ा से भरे हुए हो 
खुद की नजरों में गिरे हुए हों
 इसीलिए भीग जाओ बरसात में
 रोकर आसूओ को बह जाने दो
मन को हल्का हो जाने दो 
और गुप्त रह जायेगा रोना भी 
बरसात में सब धूल जाएगा
 क्षण भर में सब बह जाएगा 
बरसात की आड़ लेकर खुलकर रोलो 
भीतर जो कुछ इस बरसात में धोलो...

©शिवम

Wednesday, July 6, 2022

जीवन के सफर में

जीवन के सफर में बहुत कुछ
 न चाहते हुए भी त्यागना पड़ता है, 
मन को मारकर थीर करना पड़ता है...।
असंभव कुछ भी नही है दुनिया में 
पर प्रकृति के कुछ नियम है 
इसमें बंध कर चलना पड़ता है.....।
 होगा पुनर्जन्म मानता हु
 पर इस जन्म तमाम झंझावतों से 
होकर गुजरना पड़ता है......!
ये "पर" पर कुतर देता है उड़ती हुई चिड़िया का 
पर अंधेरों में कौन उड़ान भरता है..!

©शिवम 

Saturday, May 21, 2022

उजालों की तरफ

रुक सा गया
थम सा गया संसार
चले जाने वालो की 
यादों ने घेरा बार बार।

ये उन्मादीत मन
अल्हड़ सा जीवन
ना आज की फिक्र
ना का कल का जिक्र
निरंतर खोया रहता है
पुराने ख्यालों में
प्रयास करता रहता है
अंधेरो के आवरणों से
निकल कर आए उजालो में।

©शिवम