Tuesday, November 21, 2023

मैच जिताने में ऑलराउंडर की बड़ी भूमिका होती है

अभी अभी विश्वकप खत्म हुआ हैं। लोगो की भावनाएं आहत हुई है। करीब 20 साल बाद भारत और आस्ट्रेलिया आमने सामने थे फाइनल में इस बार टॉस जीतकर बॉलिंग की ऑस्ट्रेलिया ने पिछली भारत ने की थी जैसे लेकिन कोई फर्क नही पड़ा नतीजा वही निकला 6 विकेट से ऑस्ट्रेलिया ने मैच को जीत लिया। रोहित शर्मा ने जो शॉट खेला था उसके लिए वो जब तक जीवित रहेंगे तब तक खुद को गालियां ही देंगे... कैसे यार मुझे रुकना चाहिए था.... एक दम से 1983 में जैसे सर विवियन रिचर्ड्स ने खेला था और कपिल देव ने कैच पकड़ा था उसी तरह से रोहित शर्मा ने खेला और हेड ने कैच पकड़कर खेल पलट दिया। बात यही नही खतम नही होती है हमने एक ऑलराउंडर खेलाना जरूरी नहीं समझा, सूर्या को खेलाना बेकार ही फैसला था वो बॉलिंग भी नही करा सकता है.. हार्दिक पांड्या का घायल को बाहर होना खल गया लेकिन इतने बड़े देश क्या कोई ऑलराउंडर नहीं मिला बीसीसीआई को.. हद है अश्विन को बाहर बैठा कर रखा फाइनल में शार्दुल भी नही खेला चलो ठीक है कम से कम यार प्रसिद्ध कृष्णा को तो खेला सकते थे। पार्ट टाइमर कोई नहीं था भारत में जिसका डोमेस्टिक में बॉलिंग रिकॉर्ड बढ़िया हो और अच्छा खासा ओवर निकाल ले।

2007 का T20 ,2011 हो या 2013 का चैंपियन ट्रॉफी हम तभी जीते जब खिलाड़ी बदलते गए पिच के हिसाब से विनिंग कांबिनेशन जैसा कुछ नही होता है। Constant कुछ भी नही होता है... सचिन सहवाग तक बॉलिंग करके ओवर निकाल लेते थे जब टीम जरूरत पड़ती थी तो। युवराज रैना जैसे ऑलराउंडर अब नही दिखते है टीम। भले ही फास्ट बॉलिंग ऑलराउंडर नही थे लेकिन टीम संतुलित थी इन स्पिन फेंकने वालो से। शर्म की बात है की टीम में कोई ऑलराउंडर नही है अगर जडेजा को आप बल्लेबाज मानते है तो आप आईपीएल ही देखिए वही सही है आपके लिए... Individual records बनाने में सब लगे ही थे और बनने भी चाहिए.. लेकिन दबाव में खेलने वाला गंभीर बड़ा याद आया यार...इस विश्वकप में ऑस्ट्रेलिया की टीम आप देख सकते है ऑलराउंडरों और पार्ट टाइम गेंदबाजों की कमी नही थी। मानते है हमने 10 दस मैच लगातार जीते लेकिन सामने 5 बार की चैंपियन थी जो कभी हार नही मानती है अफगानिस्तान के खिलाफ मैक्सवेल के दोहरे शतक बता दिया था की हम हारने वालो में से नही है। कहते है न सब अच्छा हो रहा तो गलत चीजे दिखनी बंद हो जाती है लोगो को वही हुआ है आलोचना किसी को पसंद नही आजकल वैसे भी आलोचना करने वालो का रिकॉर्ड चेक करने लग जाते है आजकल के तथाकथित प्रसंशक लोग। बिना ऑलराउंडर के खेलेंगे तो खामियाजा भुगतना ही था एक न एक दिन ।

2011 भारत विश्वकप टीम में धोनी और गंभीर को छोड़ सारे खिलाड़ी लगभग ठीक ठाक गेंदबाजी कर लेते थे।
1996 की श्रीलंका की विश्वकप टीम में महानामा और कालुविथर्ना को छोड़ सब गेंदबाजी कर सकते थे।
87 की विश्वकप ऑस्ट्रेलिया टीम में 8-9 गेंदबाजी कर सकने वाले लोग थे। ये विश्वकप भारत में हुए थे।

 एक बात और विव रिचर्ड्स महान थे और रहेंगे जब दुनियाभर के बड़े क्रिकेटर 60 की स्ट्राइक से वनडे खेलते थे और उसे बेस्ट कहते थे तब विव रिचर्ड्स की 90+ स्ट्राइक थी इतना ही नही तेज गेंदबाज भी थे फिल्डिंग में तो लाजवाब एक दम 3d खिलाड़ी बिना हेलमेट के उस समय के तेज गेंदबाजो को पानी पिला देते थे... महानता ये नही की आपने अपने करियर में क्या किया.. आपने विश्व कप जितवाया की नही अपनी टीम को इसमें में है..।

Friday, November 17, 2023

लहरा दो तिरंगा इस बार कर्णावती के मैदान पर


साल था २००३ , मेरी उम्र थी ११ , तब घर में हिंदुस्तान का समाचारपत्र आया करता था, जिस दिन फाइनल मुक़ाबला था उसी दिन समाचारपत्र में मुख पन्ने पर शीर्षक आया था “ २० साल बाद भारत फिर से इतिहास दोहराने को आमादा”। महा मुक़ाबले वाले दिन टीवी पर पाकिस्तान के साथ हुए मुक़ाबले का पुनः प्रसारण हुआ, देख कर आनंद भी आया और हौसला भी। ख़ैर मुक़ाबला शुरू हुआ ऑस्ट्रेलिया के साथ और उन्होंने कैसा खेल दिखाया ये बताने की ज़रूरत भी नहीं है। बल्लेबाज़ ही कर के ऑस्ट्रेलिया ने अपनी तरफ़ ८०% मैच झुका लिया था, हमारी आख़िरी उम्मीद अब सचिन पर टिकी थी।

सचिन के एक चौका मारते ही हमारी उम्मीदें परवान पर थी, अगले ही क्षण कुछ ऐसा हुआ कि किसी को अपनी आँखों पर विश्वास नहीं हुआ, सचिन आउट हो गये। हमारी उम्मीद टूट गई थी, पर सहवाग को खेलते देख कर मन के अंदर का बच्चा अभी भी हार मानने को तैयार नहीं था। सहवाग- द्रविड़ दोनों आउट हो गये। हम मुक़ाबला हार गये, बहुत रोया , खाना तक नहीं खाया।ग़ज़ब की टीस थी मन ही मन में। कुछ भी अच्छा नहीं लगा कुछ दिनों तक उसके बाद।अगले दिन फिर से हिंदुस्तान समाचार पत्र घर आया और उसके मुख पत्र पर शीर्षक था “आह !! एक सुंदर सपना टूट गया"
आज फिर से उसके बीस साल बाद वही दोनों टीमें फिर से फाइनल में पहुँची हैं, एक क्षण लगता है कि ऑस्ट्रेलिया कही वहीं दर्द फिर से ना दे दे, तो दूसरे क्षण लगता है कि नहीं जो हो गया वो पुरानी बात थी, ये नयी पीढ़ी इस बार ऑस्ट्रेलिया को दर्द देगी और हम तीसरी बार चैंपियन बनेंगे।
पूरी टीम को मेरे जैसे असंख्य प्रशंशकों को तरफ़ से शुभकामनाएँ हैं। हमारी टीम जीते यही कामना है। इस बार चूकना नहीं है, बल्कि साबित करना है कि हम तब भी सर्वश्रेष्ठ थे आज भी है, सिर्फ़ एक दिन के ख़राब खेलने की वजह से हारे थे पर अब वो गलती नहीं होगी।

अपने टीम के हर खिलाड़ी हमारे अपने हैं, हम सबके फैन हैं, हमे सभी पर गर्व है। जाओ और लहरा दो तिरंगा इस बार कर्णावती के मैदान पर। 

जय हिन्द 
जय भारत🇮🇳
🐼🏏

लेखक:- सतीश यादव 

Saturday, November 4, 2023

400 रन बनाने के बाद भी हारी न्यूजीलैंड और टूटे कई रिकॉर्ड

आज पकिस्तान बनाम न्यूजीलैंड का गजब मैच चला। जहां न्यूजीलैंड ने पहली बार वनडे क्रिकेट के इतिहास पहली बार 400 का आंकड़ा छुआ वही पाकिस्तान जीत गई डकवर्थ लुइस नियम से 21 रनों से.. एक पल को ख्याली पुलाव लग रहा था लेकिन ये सब कुदरत का निजाम निकला इसके आगे कोई क्या ही कर सकता हैं। इतिहास तो दोनो तरफ से बने आज देखा जाय तो। रचिन रविन्द्र ने एक एक ही विश्व कप 3 शतक जड़ दिए विश्वकप में न्यूज़ीलैंड की तरफ से सबसे ज्यादा शतक जड़ने के मामले में आगे निकल गए।इस मामले में उन्होंने कप्तान केन विलियमसन (2) को पीछे छोड़ दिया है।विलियमसन यदि शतक से नहीं चूकते तो वह संयुक्त रूप से सर्वाधिक शतक जड़ने वाले पहले बल्लेबाज होते। विलियमसन के अलावा फ्लेमिंग, मार्टिन गप्टिल, स्टायरिस, ग्लेन टर्नर और नाथन एस्टल ने 2-2 शतक जड़े थे।

रचिन रवीन्द्र 23 साल की उम्र में 3 विश्वकप शतक जड़ने वाले पहले बल्लेबाज बन गए हैं। इससे पहले पूर्व भारतीय दिग्गज सचिन तेंदुलकर के नाम 23 साल की उम्र में 2 विश्व  कप शतक दर्ज थे, लेकिन अब रचिन रवीन्द्र ने सचिन तेंदुलकर को पीछे छोड़ दिया है..! रविंद्र एक बड़ा कारनामा करते हुए डेब्यू वनडे विश्व कप में 500 रन बनाने वाले दूसरे बल्लेबाज बन गए हैं। इस मामले में उन्होंने इंग्लैंड के विस्फोटक बल्लेबाज जॉनी बेयरस्टो (534 रन, 2019) की बराबरी हासिल कर ली है। रविंद्र एक वनडे विश्व कप संस्करण में न्यूजीलैंड की ओर से संयुक्त रूप से इस मामले में उन्होंने अपने देश के पूर्व दिग्गज क्रिकेटर मार्टिन क्रो (1992) और स्कॉट स्टाइरिस (2007) की बराबरी करते हुए सबसे अधिक 50+ की पारियां खेलने वाले बल्लेबाज बन गए हैं..!
पाकिस्तान के फखर जमां ने न्यूजीलैंड के खिलाफ लगाते 11 छक्के लगाते हुए एक पारी में ज्यादा छक्को का और सबसे तेज शतक लगाते ही इमरान नजीर का 16 साल पुराना रिकॉर्ड रिकॉर्ड तोड़ दिया जो 2007 में किंग्सटन में विश्व कप मैच में जिम्बाब्वे के खिलाफ इमरान नजीर ने 95 गेंदों में शतक जड़ा था,और 8 छक्के लगाए थे जबकि फखर ने 63 गेंदों में 100 रन बनाए । देखा जाय तो शायद ये पहली बार ऐसा हुआ है की कोई टीम पहली बार 400+ रन बनाती है और उसे बारिश की वजह से डकवर्थ लुईस नियम से हारना पड़े...!
इस विश्व कप में कुछ भी हो जा रहा है नीदरलैंड ने दक्षिण अफ्रीका को हरा दिया और अफगानिस्तान ने इंग्लैंड- पाकिस्तान दोनो को। न्यूज़ीलैंड की टीम अपने शुरू के चार मैच जीती है और लगातार हार भी गई..!  रचिन रविंद्र तीन शतको में न्यूज़ीलैंड को 2 में हार मिली है .. अभी तो ये इनका पहला ही विश्वकप है आने वाले समय में इनके और शतक देखने को मिलेंगे।

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