Friday, November 17, 2023

लहरा दो तिरंगा इस बार कर्णावती के मैदान पर


साल था २००३ , मेरी उम्र थी ११ , तब घर में हिंदुस्तान का समाचारपत्र आया करता था, जिस दिन फाइनल मुक़ाबला था उसी दिन समाचारपत्र में मुख पन्ने पर शीर्षक आया था “ २० साल बाद भारत फिर से इतिहास दोहराने को आमादा”। महा मुक़ाबले वाले दिन टीवी पर पाकिस्तान के साथ हुए मुक़ाबले का पुनः प्रसारण हुआ, देख कर आनंद भी आया और हौसला भी। ख़ैर मुक़ाबला शुरू हुआ ऑस्ट्रेलिया के साथ और उन्होंने कैसा खेल दिखाया ये बताने की ज़रूरत भी नहीं है। बल्लेबाज़ ही कर के ऑस्ट्रेलिया ने अपनी तरफ़ ८०% मैच झुका लिया था, हमारी आख़िरी उम्मीद अब सचिन पर टिकी थी।

सचिन के एक चौका मारते ही हमारी उम्मीदें परवान पर थी, अगले ही क्षण कुछ ऐसा हुआ कि किसी को अपनी आँखों पर विश्वास नहीं हुआ, सचिन आउट हो गये। हमारी उम्मीद टूट गई थी, पर सहवाग को खेलते देख कर मन के अंदर का बच्चा अभी भी हार मानने को तैयार नहीं था। सहवाग- द्रविड़ दोनों आउट हो गये। हम मुक़ाबला हार गये, बहुत रोया , खाना तक नहीं खाया।ग़ज़ब की टीस थी मन ही मन में। कुछ भी अच्छा नहीं लगा कुछ दिनों तक उसके बाद।अगले दिन फिर से हिंदुस्तान समाचार पत्र घर आया और उसके मुख पत्र पर शीर्षक था “आह !! एक सुंदर सपना टूट गया"
आज फिर से उसके बीस साल बाद वही दोनों टीमें फिर से फाइनल में पहुँची हैं, एक क्षण लगता है कि ऑस्ट्रेलिया कही वहीं दर्द फिर से ना दे दे, तो दूसरे क्षण लगता है कि नहीं जो हो गया वो पुरानी बात थी, ये नयी पीढ़ी इस बार ऑस्ट्रेलिया को दर्द देगी और हम तीसरी बार चैंपियन बनेंगे।
पूरी टीम को मेरे जैसे असंख्य प्रशंशकों को तरफ़ से शुभकामनाएँ हैं। हमारी टीम जीते यही कामना है। इस बार चूकना नहीं है, बल्कि साबित करना है कि हम तब भी सर्वश्रेष्ठ थे आज भी है, सिर्फ़ एक दिन के ख़राब खेलने की वजह से हारे थे पर अब वो गलती नहीं होगी।

अपने टीम के हर खिलाड़ी हमारे अपने हैं, हम सबके फैन हैं, हमे सभी पर गर्व है। जाओ और लहरा दो तिरंगा इस बार कर्णावती के मैदान पर। 

जय हिन्द 
जय भारत🇮🇳
🐼🏏

लेखक:- सतीश यादव 

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