Friday, August 18, 2023

सुंदर शब्द और आवरण

 शब्दो के सुंदर करने से अर्थ थोड़ी न बदल जाएगा 
जो जो है वही कहलाएगा ...
क्या फर्क पड़ता है नगरबधू, गणिका कहने से
यहां सब जानते है एक दूसरे को पहचानते है
चली आ रही है पुरातन से परम्परा
 नवीन युग में इन्हे वैश्या के नाम से जानते है..
खादी पहिन लेने से कोई नेता थोड़ी न बन जाएगा
 छवि थोड़ी न बदल जाएगी
मन में पाप लेकर वस्त्रों की सुंदरता से
 अधिक दिन तक कोई थोड़ी न टिक पाएगा..
केवल  छद्म कुलीनता के मिथ्यावरण ओढ़े,
हज़ारों साल तक, जीवित रहते
हैं ये दलाल, एक ही जीवनमें मरती है कोई वेश्या
हज़ार बार,
 खादी पहन लेने भर से 
गलत मानसिकता बदल नहीं सकती, 
कुछशब्दों की सुंदरता से,
 जीवन की वास्तविकता बदल नहीं
सकती।

Thursday, August 10, 2023

पूर्वजों की विरासत


खंडहरो में धरोहरों को समेटे
कई मंदिर पड़े है टूटे फूटे
पूर्वजों की विरासत 
आने वाली पीढ़ियों के ऊपर है निर्भर
कहा तक संभाल पाती है और
कहा तक पुनः स्थापित कर पाती है?
आज भी ना जाने कितने ही खंडहर
पड़े देवी देवताओं की 
पवित्र स्थलि बाट जोह रही है
आएगा उनका सनातनी पुत्र 
उनका उद्धार करेगा ..!

कलयुग में आवतर ना लेने का प्रण ही 
तो बतला रहा है कौन है दानव 
जो कर रहा दमन और 
जो रक्षा कर रहा है वो
है सनातन..!
कहानी पुरुषार्थ की 
यूंही नही लिखी जाती है
करने पड़ते है अनगिनत त्याग 
तपना पड़ता है तपस्या में ...
तब जाकर कही धर्म की स्थापना होती है , 

वीर पुत्र रक्त बहाकर देते है बलिदान
तब कही  जाकर एक अखंड राष्ट्र की 
स्थापना होती है..!

©शिवम