दक्षिण अफ्रीका वाले तो सत्य अहिंसा की राह पर ला रहे थे लोगो को की अंग्रेजो की तरफ से लड़ो विश्वयुद्ध में ,आज़ादी मिल जाएगी लेकिन ये मियाची टक्कर देने में आगे निकला जैसे ही विश्व युद्ध शुरू हुआ मोर्चा खोल उत्पात मचायाअपने मुर्दा स्थान के लिए....!
तभी बंगाल का एक "लाला" जो अकेले निकल पड़ा था अंग्रेजो के पिछवाड़े में भाला डालने के लिए । बंगाल का बाघ जर्मनी जाकर युद्धबंदियों को उनके पूर्वजों की वीरता और मां भारती के कष्टों से अवगत कराता है ,माता के रक्त के आंसुओ कि सौगंध देता है, नींद में रहने वालों को जगाना आसान है पर मानसिक रूप से सो जानें वालो को जगाना सबसे बड़ा और महान कार्य है। जब कैंब्रिज से पढ़े इलाहाबादी वकील के लौंडे को ये जब ये पता चला उसने कहा " मैं इसका विरोध करुंगा तलवार उठाकर जब वो विदेशियों के मदद से भारत पर हमला करने आएगा तो..." खैर बंगाल का बाघ जब सिंगापुर आया तो साथ मिला दादा का जिन्होंने ने फौज बनाकर सौप दिया कहा जाओ तांडव मचा दो ! विप्लव कर दो..! खुद को बलिदान कर दो मां भारती की सेवा में...! जब जय हिन्द का नारा जोरो से लगा तब जाकर कही तख्ता पलट हुआ, नौसेना वायुसेना में भी विद्रोह हुआ। दुर्भाग्य ये की बंगाल बाघ के साथ हादसा ना जाने कैसा हादसा हुआ ,अखंड भारत का पहला प्रधानमंत्री सर्वोच्च सेनापतिकमांडर कहो या राष्ट्रपति जो था यही था मां भारती का लाल था , रहस्यों से पर्दा हटेगा एक दिन, घना कोहरा छटेगा एक दिन... !
शान्ति का श्वेत कबूतर उड़ाने वालों बंगाल का बाघ फिर दहाड़ेगा एक दिन... रहस्यमय ढंग से बाघ जंगलों में कहा गया किसको पता जब तक विरोधी जीवित रहे खौफ खाते रहे की अब बघवा आएगा सबको चीर फाड़ देगा। बाकी बाघ के राजनीतिक जंगल में खो जाने का फायदा उठाकर जिहादी मियाची अपना मुर्दा स्थान पा गया और उन्मादी इलाहाबादी वकील का लौंडा अपना टूटा सेकुलर स्थान पा गया। खंडित भारत माता को कर अपना परचम लहरा दिए आजाद हुए पर माताओं बहनों की इज्जत सरेआम नीलाम किए... रोती भारत माता की पीड़ा कौन समझने वाला था 26 हजार आजाद हिंद फौज के बलिदानियों पर कौन रोने वाला था ..जले पर नमक ये छिड़का गया की बिना खड़ग बिना ढाल देश हुआ आजाद था दक्षिण अफ्रीका वाले साबरमती का संत किया बड़ा कमाल था...! संत ने कहा था मेरे लाश पर चढ़कर देश का होगा खण्डन, लो साला बन गया आजाद देश का गवर्नर जनरल लॉर्ड माउंटबेटन..! चरखे वालो का परखच्चे उड़ा देने का मन करता है.. अब छोड़ों भी खुद इतिहास पढ़े लोग इतना समझाने का कौन जतन करता है। बाकी मैं तो उजड़ा हु, हकीकत लिखता हु सबको लगता रोता अपना दुखड़ा हु।
क्रांतिकारी चिंतन।
ReplyDeleteआपका बहुत आभार।
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