Sunday, September 10, 2023

वनडे क्रिकेट पतन की तरफ

2017 के बाद से देखा जाय तो क्रिकेट का स्तर बहुत बदल चुका है या कहे एक नए युग का शुरआत है। जहा पहले लोग सोचते थे की टेस्ट मैच का क्या होगा ? आगे चलकर बना रहेगा भी की नहीं? लोग टेस्ट मैच को बचाने की बात करते थे तो टेस्ट चैंपियनशिप शुरू हुआ । एक अलग ही स्तर पर टेस्ट क्रिकेट पहुंच गया है । सादे या सफेद कपड़े में खेले जाने वाले इस प्रारूप के बिना क्रिकेट रंगीन हो ही नही सकता हैं। बिना टेस्ट क्रिकेट के क्रिकेट का क्या ही वजूद।
 वजूद आज खतरे में है तो वन डे क्रिकेट का लगता है जहा से कही न कही लोगो का मन उचाट होते देख सकते है।

 कारण यह है की अब पहले जैसे वन डे प्लेयर नही रह गए है दूसरी बात इसके बदलते नियम और ज्यादा से ज्यादा टी 20 मैचों का होना । वर्तमान में देखा जाय तो हर छोटे मोटे देश में कोई न कोई टी 20 लीग या टूर्नामेंट चल ही रहा होता है।आईपीएल से बड़ा लीग तो मुझे नहीं दिखता है 2 ढाई महीने तो लोग इसी में व्यस्त रहते है। मैचों के लिए इंतेजार नही करना लड़ता है हर महीने कोई न कोई दौरा या लीग शुरू ही रहता है। वन डे क्रिकेट टेस्ट और टी 20 के बीच के कड़ी बन गई है। टेस्ट क्रिकेट में टेस्ट चैंपियनशिप की वजह से लोगो का रुझान इधर बढ़ गया है और टी 20 देखा जाय तो ज्यादा समय नही लेता है। वन डे क्रिकेट बोरिंग सा लगने लगा है पहले जैसा बात नही रह गया है ।
50 ओवर के खेल में अब कोई खास दिलचस्पी नही दिखाई देती मुझे किसी की जब तक विश्व कप ना आ जाए। पहले त्रिकोणीय सीरीज होते थे तो अलग ही आनंद आता था इसे देखने में लेकिन पिछले कुछ सालों से द्विपक्षीय सीरीज ही देखने को मिला हैं।

इंग्लैंड ने जिस तरह से वन डे खेलना शुरू किया है क्या ही बोला जाय। साढ़े तीन सौ का भी आंकड़ा कुछ नही लगता इसके। लेकिन इसी बीच जयसूर्या संगाकरा जयवर्धने मुरलीधरन जैसे खिलाड़ियों को देने वाली श्रीलंकाई टीम का जो पतन हुआ काफी निराशा जनक रहा है क्रिकेट जगत के लिए । विवियन रिचर्ड्स, माइकल होल्डिंग, गैरी सोबर्स, मैकलम मार्शल हो ब्रायन लारा हो या कृष गेल , और ना जाने कितने धुरंधर देनी वाली वेस्ट इंडीज की टीम इस बार विश्व कप में नही खेलेगी ऐसा पहली बार हुआ हो रहा है की 2 बार की विजेता टीम इस बार नही खेलगी वन डे विश्व कप में। वही दक्षिण अफ्रीका में काले गोरे वाले नियमो ने टीम की धज्जियां उड़ाकर रख दी है। ये पनौती टीम विश्वकप तो छोड़िए अब अपने नॉर्मल मैचों में भी बढ़िया परफॉर्मेंस नही दे पा रहे है। कही ना कही जिम्बांबवे इस घटिया नियम का शिकार हो चुका है वरना इनका अलग ही स्तर होता क्रिकेट जगत में। विश्व कप में सिर्फ 8 टीमों का खेलना ही बता रहा है की क्रिकेट अभी कितना पीछे है।
 वन डे क्रिकेट का एक अलग ही माहौल था जो अब पाकिस्तान से भी हो जाय भारत का मैच तो उतना मायने नही रखता है । खिलाड़ियों ने भी क्रिकेट खेलने के आलावा दुनिया भर का ठेका ले रखा है। साला वन डे क्रिकेट ना हुआ पंचवर्षीय योजना हो गया है मैच छोड़ सब होता है ढंग से।

©शिवम🏏

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