Monday, July 25, 2022

भीग जाने दो खुद को



भीग जाने दो खुद को
 भीगने का अलग ही मजा है 
ना भीगे जीवन में तो
 ये जीवन नही एक सजा है 
देखो मानता हु
 दुख दर्द संताप पीड़ा से भरे हुए हो 
खुद की नजरों में गिरे हुए हों
 इसीलिए भीग जाओ बरसात में
 रोकर आसूओ को बह जाने दो
मन को हल्का हो जाने दो 
और गुप्त रह जायेगा रोना भी 
बरसात में सब धूल जाएगा
 क्षण भर में सब बह जाएगा 
बरसात की आड़ लेकर खुलकर रोलो 
भीतर जो कुछ इस बरसात में धोलो...

©शिवम

1 comment:

  1. कितनी सच्ची बात कही है की बरसात बस भीगने के लिए नहीं होती, उसमें खुद को धोने का एक मौका भी छिपा होता है। हम सब कभी न कभी रोना चाहते हैं, पर छुप-छुप के। और आपने तो बड़ी प्यारी सी तरकीब बता दी, बरसात में रो लो, कोई नहीं देखेगा।

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