Saturday, May 21, 2022

उजालों की तरफ

रुक सा गया
थम सा गया संसार
चले जाने वालो की 
यादों ने घेरा बार बार।

ये उन्मादीत मन
अल्हड़ सा जीवन
ना आज की फिक्र
ना का कल का जिक्र
निरंतर खोया रहता है
पुराने ख्यालों में
प्रयास करता रहता है
अंधेरो के आवरणों से
निकल कर आए उजालो में।

©शिवम

1 comment:

  1. आपने बहुत खूबसूरती से उस हालत को पकड़ा है जब यादें हमें बार-बार घेर लेती हैं और वर्तमान हाथ से फिसलता सा लगता है। मुझे अच्छा लगा कि तुमने सिर्फ उदासी नहीं दिखाई, बल्कि रोशनी की तरफ बढ़ने की चाह भी लिखी।

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