तुम्हारी यादों को संजोया है
क्या फर्क पड़ता है
दुनिया कुछ भी सोचे
मैने क्या खोया क्या पाया है..!
बनने दो तमाशा मेरा
दुनिया के सामने
मैने जब भी आंखे खोली
सिर्फ तुमको पाया है
ओह! मेरी दुनिया तो तुम हो..!
साहित्य की काल्पनिक
दुनिया बन चुकी हो,
भले सौ कोस दूर जा चुकीं हो..!!
©शिवम
क्या बात है, पढ़ते ही ऐसा लगा जैसे किसी अपने ने दिल की बात बयां कर दी हो। आपने अल्फाज़ों में जो सच्चाई और दर्द है न, वो हर किसी को महसूस होगा। सबसे ज़्यादा अच्छी बात लगी कि आपने दुनिया की परवाह किए बिना बस अपनी सच्ची फीलिंग्स रख दीं। लग रहा है जैसे कोई अधूरी मोहब्बत किताब की शक्ल में सामने आ गई हो।
ReplyDeleteबिल्कुल यही समझ लिजिए 😅
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