तुम्हारी यादों को संजोया है
क्या फर्क पड़ता है
दुनिया कुछ भी सोचे
मैने क्या खोया क्या पाया है..!
बनने दो तमाशा मेरा
दुनिया के सामने
मैने जब भी आंखे खोली
सिर्फ तुमको पाया है
ओह! मेरी दुनिया तो तुम हो..!
साहित्य की काल्पनिक
दुनिया बन चुकी हो,
भले सौ कोस दूर जा चुकीं हो..!!
©शिवम
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