Tuesday, April 4, 2023

खुदा जुदा हो गया.!

जिसे मैंने माना खुदा 
उसी से मेरा दिल दुखा 
हर कोई महादेव नहीं होता है न
जो असुरों को भी वरदान दे 
लेकिन यार मुझे तो ईश्वर शब्द से ही नफरत था 
मैं तो एक घनघोर नास्तिक था...
जिंदगी से हारा 
झूठी उम्मीदों का लिया सहारा
उसने भी कर लिया किनारा
उसका आगमन 
मेरा दमन 
करने आया था..
जीने की वजह बनकर 
मुझे बीच अंधेरे में 
चला गया अकेला छोड़कर 
हा, वही कमबख्त है जिसे 
मैंने अपना खुदा माना था....!


1 comment:

  1. तुमने जिस तरह “खुदा” और “धोखा” को जोड़ा है, वो बड़ा कड़वा लेकिन सच्चा अहसास देता है। मुझे लगा जैसे तुमने अपना सारा दर्द कागज़ पर उतार दिया हो। तुम्हारे शब्दों में गुस्सा भी है, शिकायत भी है और कहीं न कहीं टूटे हुए भरोसे की गहरी चोट भी। ऐसा लगता है जैसे कोई अपने सबसे करीबी से हार गया हो।

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