Sunday, February 9, 2025

बस यूंही लिख दिया

इतराना उसका खूबसूरती पर
न जाने कैसा अहंकार है.....?
काम वासना डूबी
उसे किससे प्यार है...?
ये सौंदर्य जीवन 
ईश्वर की देन है
कुछ क्षणों तक रहेगा
प्रकृति का नियम है 
इसके आगे सब मौन है..!
एक दिन तुम यू बैठोगी
आंगन में सोचोगी
मेरे बारे में
धुंधली सी यादों में 
मैं मासूम नजर आऊंगा
हा वो लड़का जो 
बिना स्वार्थ के
तुमसे मिलता था
तब पछताकर क्या होगा
हाथ से सब निकल चुका होगा
एक नया संसार होगा 
जिसमे न चाहते हुए जीना होगा
घुटकर जीवन जीने से क्या होगा
आज जवानी है कल बुढ़ापा होगा
आज जीवन है कल मृत्यु होगा
इस चक्रव्यूह से निकलो तुम
अर्जुन की तलाश में
कृष्ण को न भूलो तुम..!

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