Saturday, March 15, 2025

सुख का सोता

जिन अथाह सागर जैसी आंखों में आप सर्वस्व निझावर कर डूब जाना चाहते थे जब उन्ही आंखों में आंसुओं की गंगा-जमुना उमड़ते देखते हो जिसे वो अपने चेहरे की बेरंग हंसी से छुपा देना चाहती है तब आपको आभास होता है कि अक्सर मेरी खुशियों का उद्गम बनने वाली तुम्हारे इन दो प्रेमिल नैनों से दुखों का सोता भी फूट सकता है। आप चाहते हैं उसी क्षण इस सृष्टि का विधान बदल डालें और उसे इस दुःख के बोझ से उबार दें किंतु नियति के सामने आप मजबूर, आप पूरा मन लगा अंदर के उत्साह से एक चुटकुला या कोई किस्सा याद दिलाते हैं जिससे उसकी बेरंग मुस्कान की रंगत कुछ बढ़ जाए।

इस पूरी प्रक्रिया को करते हुए आपको एक बार पुनः वही एहसास होता है जिसने आपको इस लड़की की प्रेमपाश में बांधा था और इस तरह पहले से ज़्यादा आप उससे बेसाख्ता प्रेम करने लगते हैं।

~ अंशुमन "निर्मोहिया"

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