Sunday, June 29, 2025

पक्षियों के साथ सुकून मिलता है

 गर्मी का मौसम है.. हद से ज्यादा ही पड़ रही है इस साल। लोगो का कहना है मई तो गई जून तो लगता है भून कर ही दम लेगा। पर्यावरण में बदलाव तो देखने को मिला ही है कुछ सालों में । इसमें कोई दो राय नहीं है। लाखों पेड़ कटे हैं चौड़ी सड़के बनाने के लिए। कुछ तो असर पड़ना ही था इसका।  हमारा तो फिर भी सही है हम लोग सक्षम हैं पर पशु पक्षियों की तो हालत खराब हो जाती हैं। खासकर उन पक्षियों की जो पास के तालाब और पेड़ों पर निर्भर रहते हैं। दाना पानी का छत या घर के आंगन में रख देना चाहिए तरह तरह के पक्षी आते जाते रहते हैं। मै भी यही करता हूं। अच्छा लगता है इनका पक्षियों का आना जाना चहचहाना।
ये बहुत व्याकुल थी जब इसकी नजर इस जल पात्र पड़ी तो इसने बहुत राहत महसूस किया और इधर उधर चहकने लगी।

सबसे खास बात ये कि ये समय से आती है इसका समय तय रहता है । एक दम सुबह में यही दिखती है।
ये बहुत ही चतुर और चालाक चिड़िया है। इसकी गतिविधियों पर नजर रखने में बहुत आनंद मिलता है।


लंबी पूछ वाला  पक्षी

अंग्रेजी में इसे Rufous treepie कहते हैं। कोटरी" या "टका चोर" भी कहा जाता है। इसे "हांडी चंचा" भी कहा जाता है। इस चिड़िया के बारे में कहा जाता है कि वह बाघ के मुंह में घुस के दांतों में फंसे मांस को निकाल 
कर भोजन करती है । 
ये सच में बहुत चालाक पक्षी है। आता है तो चारों झांकता ताकता है और फिर पानी पीकर उड़ जाता है। 
एक दिन देखा पंखे पर बैठा हुआ है चोंच से कुछ दबाया हुआ था ।

फिर उड़कर छज्जे से निकले पिलर पर जाकर बैठ गया । साफ- साफ दिख रहा है इसके मुह में कुछ है। 
फिर अचानक से कुछ नीचे गिरा था । पता नहीं चला था जब फुर्र हो गया तब देखा। एक फूटा अंडा था। 
फिर आया घर की चारदीवारी पर बैठ गया।
इसकी आवाज मैने बिल्कुल भी नहीं सुनी । बड़ा ही शान्त नजर आय ये। बड़ा  ही सुंदर पक्षी।  
ये एक अद्भुत पल था मेरे लिए इस तरह से इसे देखना। ऐसा दृश्य जिसे अपने मोबाइल कैमरे में कैद में कर लिया। ये पक्षी मुझे। फिर शाम को छत पर भी दिखा। 
भुअरी चिड़िया

भरी दोपहरीया में इनका जमावड़ा जरूर लगा रहा है कोई पक्षी आए या नहीं ये सब चहचहाते हुए दिखेंगे।
देखिए कैसे छज्जे से निकले छड़ पर बैठी हुई है ये चिड़िया।
बरामदे में लगा पानी का नल खोल देता हु कुछ देर तक तो पानी लग जाता है और छपाक छपाक करने में बहुत आनंद आता है। गर्मियों से इन्हें राहत मिलता है। 
पानी में बैठकर जब ये अपना पंख फड़फड़ाती हैं तो देखते बनता हैं। इन पक्षियों के अजीब सा सुकून मिलता है जो और दुनिया के किसी भी कोने या हिस्से में नहीं 

घर के चार दिवारी पर इक्कठे बैठती हैं तो लगता है घर की सुरक्षा इनके जिम्में हैं कोई आ नहीं सकता बाहर इनके इजाजत के।
इस दीवार पर बैठकर इनकी चहचहाहट खूब तेज हो जाती है। इनकी नजरे बहुत तेज होती है भोजन की तलाश में। कुछ न कुछ ये ताकते झांकते ही रहते हैं।

बगल वाले घर में एक छोटा सा आम का और अमरूद का पेड़ लगा हुआ है इनके पकते ही फोड़ फोड़कर इनका खाना शुरू हो जाता है।
एक दम भोर में जब मैं किताबें खोलकर पढ़ रहा होता हूं तो तब एक दो पक्षी हमेशा आते हैं खिड़की पर खुट खुट करने ताकि मैं नींद में न हो जाऊं।

उफ्फ तुम्हारा यू आकर पास बैठ जाना... सुबह सुबह खिड़की पर एक खट खट की आवाज आती है मानो आज तो कांच फूट ही जाएगा .... चोंच की ठोकरों से इतनी तेज आवाज आती है लगातार पढ़ने का लय टूट जाता है छोटा सा विश्राम मिल जाता है ... राहत और सुकून महसूस होता है जीवन में बहुत है करने को देखने को....तुम उड़कर दुनिया देखती हो मैं भी एक दिन उडूंगा फर्क इतना होगा की तुम्हारे पंखों की उड़ान है मेरी हौसलों की उड़ान।

कुछ पक्षियों आना जाना ही लगभग फोटो खिंचवाने के लिए होता है।
डव 🕊️ सिर्फ छत पर दिखते हैं सबसे अधिक तब जब छत गेहूं सूखने के लिए रखा हो। 
ये पक्षी हमेशा जोड़े में दिखेंगे या जब भी आएंगे एक साथ कई दिखेंगे।


छोटकी चिरइया 🐦‍⬛ 
इनका भी क्या ही कहना ये तो बिजली के तार खंभे हर जगह बैठकर चाय चाय चहचहाती हैं।
इनका अपना अलग ही समूह रहता है इक्कठे ये आती हैं इक्कठे जाती हैं।
इनका अपना अलग ही संसार है। खुले आसमान में कही भी उड़ चले और ऊंचाई पर बैठे गए।
सुबह शाम पक्षियों को आना जाना लगा रहता है। अब बारिश का मौसम शुरू हो चुका है तो थोड़ा कम ही आना जाना लगा रहता है। 

उड़ता हुआ आसमान में अब सूरज भी डूबने को है। सब धीरे धीरे अपने ठिकाने पर ऐसे ही निकलते हैं। शानदार नजारा देखने को मिलता है। 
देखा जाए तो सारा संसार इन पक्षियों का है। जहां मन किया तब घूम आएं। मौसम को देखते हुए तमाम देश विदेश के पक्षियों का आना जाना लगा ही रहता है। इन्हें किसी भी तरह के नियमों/बंदिशों का सामना नहीं करना पड़ता है। पंखों की उड़ान ही काफी है इस दुनिया जहां को के लिए।
इन पक्षियों पर अनेक कविताएं कहानियां लिखने वाले लिखकर चले गए हैं। इसी तरह मैने एक नए लेखक की पुस्तक पढ़ी थी "बनकिसा"  ये बनकिस्सा- स्टोरीज ऑफ किंगफिशर वाकई में पढ़ने लायक पुस्तक है। पुस्तक के लेखक  सुनील कुमार "सिंक्रेटिक" बढ़िया लगा पढ़कर कुछ नया था इसमें..किंगफिशर "मच्छराजा" किस्से सुनाता है अपने मित्र जलकाक और कछुआ को..।


जब हम लोग छोटे थे बचपन में दुर्दशन पर एक कार्यक्रम आता था "जंगल टेल्स" बिल्कुल इसी तरह से कुछ लगा इनका पुस्तक। पढ़ने को तो सबने "चंपक" भी पढ़ा है । पर नए लेखकों में इनका कार्य सराहनीय है।
जीवन में बहुत सारे किस्से मिलेंगे सुनने को पक्षियों के किस्से कमाल के होते हैं। अगर पक्षी इंसानों की तरह बोल पाते तो दुनिया अनगिनत रहस्यों का पता चल जाता। और भी बहुत कुछ होता । कुछ पक्षियों को तो हम सुनते और देखते ही हैं हमारी बोली का नकल उतारते हुए।
उत्तर दक्षिण हर तरफ इनकी नजरे होती हैं। एक दम समझदारी से भरी हुईं। कुटिलता तो कूट कूट कर भरी हुई है इनमें। इनकी नजरे वो देखती हैं जो कोई देख पाता होगा।
एक दम से सावधान मुद्रा में। इनका हाव भाव बहुत कुछ कहता है। समय के साथ इनकी समझ कई गुना बढ़ी ही है। इसे नकारा नहीं जा सकता है।  पक्षियों से बहुत कुछ सिखा जाता सकता है। जैसे समय के साथ चलना और विभिन्न स्थानों के अनुसार खुद को ढालना । वहीं बसेरा हो जहां खर्चा पानी निकल सके। जीवन जबतक है तब तक मस्त चलता रहे । तनाव मुक्त रहना है तो इन पक्षियों को देखिए और समझिए। इनका जीवन कठिन ही है।
ये जब मैं गांव में था तब खींचा था लगभग 5_6 साल हो गए होंगे।
पक्षियों से सीखिए मेहनत करना और रुकना नहीं है तिनका तिनका बीन बटोर कर घोंसला बनाना आसान नहीं है अगर आंधियों में वो पेड़ टूटकर गिर जाए तो। अस्तित्व में रहने के लिए जो बन जाए वो करना चाहिए। आसान नहीं है इनके लिए भी शिकारियों और सांपों से खुद और अंडों को बचाना।  एक बात याद रखिए इन पक्षियों को आजाद रहने दीजिए पालने से बचिए। पिंजरे में कैद कोई नहीं रहना चाहेगा। इनका जब मन करेगा आती जाती रहेंगी। ये पूरे विश्व का भ्रमण करती हैं आप भी करिए अपने पहचान को जिंदा रखते हुए।

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