शब्दो के सुंदर करने से अर्थ थोड़ी न बदल जाएगा
जो जो है वही कहलाएगा ...
क्या फर्क पड़ता है नगरबधू, गणिका कहने से
यहां सब जानते है एक दूसरे को पहचानते है
चली आ रही है पुरातन से परम्परा
नवीन युग में इन्हे वैश्या के नाम से जानते है..
खादी पहिन लेने से कोई नेता थोड़ी न बन जाएगा
छवि थोड़ी न बदल जाएगी
मन में पाप लेकर वस्त्रों की सुंदरता से
अधिक दिन तक कोई थोड़ी न टिक पाएगा..
केवल छद्म कुलीनता के मिथ्यावरण ओढ़े,
हज़ारों साल तक, जीवित रहते
हैं ये दलाल, एक ही जीवनमें मरती है कोई वेश्या
हज़ार बार,
खादी पहन लेने भर से
गलत मानसिकता बदल नहीं सकती,
कुछशब्दों की सुंदरता से,
जीवन की वास्तविकता बदल नहीं
सकती।