किसी को चलती गाड़ी से भेड़ बकरियों की तरह उठा लिया जा रहा बाद में 72 हूरो के पास पहुंचा दिया जा रहा हैं। इसमें कोई सक नही हैं की जितने भी एनआईए के हिट लिस्ट में है धीरे धीरे सब मारे जा रहे है सबके मारे जाने की स्थिति एक सी हैं।
सवाल तो बहुत से उठते है साहब क्या ये काम भारतीय खुफिया एजेंसियों का है? क्या ये रॉ की साजिश है? मैं कहता हू अगर रॉ की साजिश है तो एक्सपोज करके दिखाए पाकिस्तान और पाकिस्तानी सेना। कहा गई इनकी दुनिया की टॉप की खुफिया एजेंसी आईएसआई जो इनके सामने से इनके आकाओं को ठोककर चले जा रहे है ये "अज्ञात हमलावर"। बाकी हवा तो बनता ही रहेगा की सब रॉ की साजिश है क्योंकि मारे जाने वाले सब भारत में हुए आतंकी हमलों के मास्टरमाइंड और साजिशकर्ता रहे है। पाकिस्तान में तो जनाब बच्चा भी रोने लग जाय तो सब कहते है " रॉ की साजिश है " ये तो हालात हैं इस मुल्क के।
बात करते है न्यूक्लियर पॉवर होने की पीछे से कोई अज्ञात घात करके चला जा रहा है। इन्हे कानों कान खबर नही लग रही है जिसे लग रही है उसके माथे में लग रही गोली...! मेरे ख्याल से ये भी हो सकता है कि अज्ञात हमलावर दो चार को ठोके होंगे उसका फायदा लेकर पाकिस्तानी फौज सबको टपकाने में लगी हुई है की मारो इन जाहिलो को हमें अब इनका काम नही है। ये पड़े पड़े राशन उठा रहे है और गले की फांस बने हुए है। वैसे भी काम निकलने के बाद ये कच्छे और मोजे बेचने वाली फौज किसी को नही पहचानती है। इनके यहां इतनी अंधेरगर्दी मची हुई है की इनके नेता अब देश की फौज को ही भर भर की गालियां देते हैं। सुनने में तो ये भी आता है कि आईएसआई वाले कार से निकलते थे दिन दहाड़े उनको उठा लेते थे जो इनके खिलाफ किसी भी तरह की आवाज उठाए हो या इनसे बगावत की बू आ रही हो। ये भी मानना गलत नही होगा कि जितने ठोके गए है उन्हे यही लोग ठोके हो "अज्ञात हमलावर" के नाम पर। कहानी साफ सुथरा है कि इन्हे जरूरत है इस समय पैसों की जो इन्हे कही से मिलते हुए नजर नही आ रहे है कुछ न कुछ तो करना ही पड़ेगा इन्हे पाने के लिए..!
हा कुछ लोगो का यह भी मानना हैं की FATF का दबाव हो सकता है। पाकिस्तान ने FATF को भरोसा दिया था कि वह अपनी जमीन पर आतंकी समूहों के खिलाफ कार्रवाई करेगा। इतना ही नही जो मारे गए, उन्हें न तो पाकिस्तान सरकार ने, न ही मीडिया ने आतंकवादी के रूप में पहचाना है।
अब जो हो किसी के मानने या न मानने से क्या ही फर्क पड़ता है। रही बात भारतीय खुफिया विभाग की तो इन सबसे दस कदम आगे चल रही है । हो सकता है इनके यहां कुछ अधिकारी हो जिनका विवाद चल रहा हो वहा के हुकूमत से जिनका भरपूर इस्तेमाल हमारी खुफिया विभाग कर रही हो।
मन में तरह तरह के सवाल उठना लाजमी है। इतना रहस्यमयी ढंग से कौन ठोक सकता है किसी को वो भी उनके गढ़ में घुसकर , ना कोई चेहरा ना कोई रूप क्या फर्क पड़ता है उसे छाव हो या धूप ,दिन हो या रात, अपना काम करके निकल जाता है "अज्ञात"...!